राजस्थान / प्रदर्शन में आई तेजी, विक्रेताओं ने सड़क पर बहाया दूध, तीसरे दिन भी बंद रहा बांसखो बस्सी। पंचायत समिति बनाने की मांग को लेकर बांसखो में तीसरे दिन भी बंद रहे बाजार। हालांकि मेडिकल दुकानों को इससे अलग रखा गया। Next 1 2 पंचायत समिति बनाने की मांग को लेकर रखा जा रहा है बंदए आवश्यक सेवाओं को बंद से रखा अलग Dainik BhaskarOct 16, 2019, 12:52 PM IST बस्सी (जयपुर)। बांसखोह कस्बे को पंचायत समिति बनाने की मांग को लेकर किया जा रहा ग्रामीणों का प्रदर्शन दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। बुधवार को लगातार तीसरे दिन भी कस्बे के बाजार पूरी तरह बंद रहे। हालांकि तीसरे दिन मेडिकल सेवाओं को शुरू करवा दिया गया। उल्लेखनीय है कि बांसखोह अभी ग्राम पंचायत है। वहीं मेडिकल स्टोर, अस्पताल व स्कूल खुले रहे। इसे लेकर दो दिन पहले ग्रामीणों ने पैदल जयपुर कूच भी किया था। इधर, तीसरे दिन से बांसखो कस्बे से गुजरने वाले सरकारी व निजी वाहन सेवाओं को भी बंद कर दिया गया। लिहाजा इस रूट से गुजरने वाली बसों को लवाण, पाटन, भटेरी, माधोगढ़ व तूंगा के रास्ते निकाला गया। कस्बे के बाजार पूरी तरह बंद रहे, रोजाना लगने वाले थड़ी, ठेले, सब्जी की दुकानें भी बंद रहीं। यहां तक कि दूधियों ने भी अपना दूध बाहर भेजने की बजाय सड़क पर बहा दिया। वही रात को संघर्ष समिति सदस्यों ने धरना स्थल पर रामधुनी व सत्संग कर समय बिताया। इसलिए कर रहे हैं मांग ग्रामीणों का कहना है कि तुंगा व बांसखोह को पंचायत समिति बनाने की मांग लंबित थी। सरकार ने तुंगा को तो पंचायत समिति बना दी लेकिन बांसखोह पर कोई निर्णय नहीं किया। अब बांसखोह के कई गांव तुंगा को भाग हो गए। ग्रामीणों का कहना है कि बांसखोह को भी पंचायत समिति बनाई जाए नहीं तो उन्हें तुंगा के बजाए बस्सी में शामिल किया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि तुंगा दूर भी है और वहां पहुंचने का कोई सीधा साधन भी नहीं है। अभी करीब 50 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ रही है। फोटो, न्यूज़ व वीडियो - कमल किशोर जैन, प्रदीप चतुर्वेदी Bandh COMMENT

बस्सी (जयपुर)। बांसखोह कस्बे को पंचायत समिति बनाने की मांग को लेकर किया जा रहा ग्रामीणों का प्रदर्शन दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। बुधवार को लगातार तीसरे दिन भी कस्बे के बाजार पूरी तरह बंद रहे। हालांकि तीसरे दिन मेडिकल सेवाओं को शुरू करवा दिया गया। उल्लेखनीय है कि बांसखोह अभी ग्राम पंचायत है। वहीं मेडिकल स्टोर, अस्पताल व स्कूल खुले रहे। इसे लेकर दो दिन पहले ग्रामीणों ने पैदल जयपुर कूच भी किया था।


इधर, तीसरे दिन से बांसखो कस्बे से गुजरने वाले सरकारी व निजी वाहन सेवाओं को भी बंद कर दिया गया। लिहाजा इस रूट से गुजरने वाली बसों को लवाण, पाटन, भटेरी, माधोगढ़ व तूंगा के रास्ते निकाला गया। कस्बे के बाजार पूरी तरह बंद रहे, रोजाना लगने वाले थड़ी, ठेले, सब्जी की दुकानें भी बंद रहीं। यहां तक कि दूधियों ने भी अपना दूध बाहर भेजने की बजाय सड़क पर बहा दिया। वही रात को संघर्ष समिति सदस्यों ने धरना स्थल पर रामधुनी व सत्संग कर समय बिताया।


 



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